संत श्रीदेवराहा शिवनाथदास जी महाराज के नेतृत्वमें शोभायात्रा के साथ पंचकुंडीय श्रीविष्णु महायज्ञ शुरू, 5000 महिलाओं ने लिया अपने माथे पर कलश

  • संत श्रीदेवराहा शिवनाथदास जी महाराज के नेतृत्वमें शोभायात्रा के साथ पंचकुंडीय श्रीविष्णु महायज्ञ शुरू, 5000 महिलाओं ने लिया अपने माथे पर कलश

शोभायात्रा में शामिल हुए हजारों पुरुष व महिला श्रद्धालु

हर हर महादेव, जयश्री राम व बाबा शिवनाथ दास की जयघोष से गूंज उठा शहर, वातावरण हुआ भक्तिमय

ANA/Arvind Verma

आलमनगर। परमपूज्य त्रिकालदर्शी, परमसिद्ध संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज के नेतृत्व में आलमनगर प्रखंड में नन्दकिशोर माधवान्द उच्च विद्यालय के बाबा सर्वेश्वर नाथ मंदिर के प्रांगण में होने वाले श्रीविष्णु महायज्ञ की आज भव्य शोभायात्रा निकाली गई।शोभायात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल हुए।वहीं लगभग 5000 महिलाएं केवल अपने माथे पर कलश ली हुई थी।वहीं श्रद्धालु देवराहा बाबा की जय,त्रिकालदर्शी बाबा की जय, संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज की जय,जयश्रीराम हर-हर महादेव इत्यादि का गगन भेदी उद्घोष कर रहे थे।इससे सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया।वहीं भक्तगण हर घर भगवा छायेगा, राम राज आ जाएगा, श्री राम, जानकी बसे है मेरे सीने में, इत्यादि भक्ति गीतों के धुन पर थिरक रहे थे।वहीं यह भव्य शोभायात्रा बाबा सर्वेश्वर नाथ मंदिर से शुरू होकर, बीआरसी चौक, पोस्ट आफिस रोड,बाजार , दक्षिणी पंचायत,बीआरसी चौक होते हुए पुनः यज्ञस्थल पहुंची, जहाँ पर जाकर यह भव्य शोभायात्रा एक सभा में तब्दील हो गई।वहीं श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज ने कहा कि वैदिक यज्ञ भगवान श्रीराम के अवतार लेने से पहले से ही होता रहा है।भगवान राम का प्रकटीकरण यज्ञ के द्वारा ही हुआ था।यज्ञ में भाग लेने से,दान करने से और यज्ञमंडप की परिक्रमा करने से जीव का कल्याण होता है और साथ ही साथ जीव त्रिताप दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्त हो जाता है।इसके साथ ही साथ जीव को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।वहीं यह महायज्ञ 11मार्च से 15 मार्च तक चलेगा।कल इस महायज्ञ में काशी के परमाचार्य पंडित डॉक्टर भूपेन्द्र पांडे व उनके सहयोगियों के द्वारा वैदिक रीति से अरणि मंथन होगा और इसके साथ यज्ञमंडप की परिक्रमा श्रद्धालु भक्त करेंगे और संध्या बेला में अयोध्या के निभा भारती के द्वारा प्रवचन नित्य चार दिनों तक होगा और इसके साथ ही साथ श्रद्धालुओं के द्वारा भजन कीर्तन होगा।