बुद्धिजीवियों के मार्गदर्शन की जन सुराज को दरकार -अजिताभ सिन्हा
वरिष्ठ पत्रकार सह समाज सेवी डॉ अरविन्द वर्मा की अध्यक्षता में हुई जन सुराज विचार मंच की संवाद गोष्ठी
ANA/S.K.Verma
खगड़िया। जन सुराज विचार मंच के माध्यम से प्रशांत किशोर बिहार के बुद्धिजीवियों से अपने प्रदेश की समस्याओं की पहचान और उससे निपटने के लिए अपनाए जाने वाले तरीके ढूंढने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह कर रहे हैं। बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के लिए आगे का रास्ता क्या हो इसके लिए पूरे प्रदेश संवाद का सिलसिला शुरू हुआ है। एक तरफ प्रशांत किशोर स्वयं गांव- गांव पदयात्रा करके मूल समस्याओं को समझ रहे हैं वहीं जन सुराज विचार मंच के माध्यम से बुद्धिजीवियों के वैचारिक, नैतिक सहयोग और चिंतन की खत्म हो चुकी परिपाटी को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। उक्त बातें जन सुराज विचार मंच के खगड़िया जिला संवाद सारथी अजिताभ सिन्हा ने 28 जून को शहर के मशहूर मंडप हाॅल में आयोजित पहली संगोष्ठी में बोलते हुए कहा। बिहार की राजनीतिक दशा और दिशा पर परस्पर संवाद गोष्ठी में वक्ताओं ने जातिवाद में फंसीं प्रदेश की राजनीति से लेकर खगड़िया की बुनियादी समस्याओं को रेखांकित करते हुए उसके निदान का रास्ता भी बताया। अवकाश प्राप्त डाकपाल और वरीय पत्रकार डॉ अरविन्द वर्मा की अध्यक्षता में हुई संवाद गोष्ठी में सबसे पहले बोलते हुए एडवोकेट फूल कुमार सिंह ने कहा कि समाज को सुधारने के पहले हमें खुद सुधरना होगा। उन्होंने प्रशांत किशोर के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इसके सार्थक परिणाम देखने को मिलेंगे तथा बिहार में बदलाव अवश्य आएगा। वरीय पत्रकार सतीश आनंद ने कहा कि सुधार और बदलाव की शुरुआत अपने आपसे करना चाहिए। चुनाव के समय हमपर जातीय आग्रह हावी हो जाता है जो अधिकांश समस्या की जड़ है। अधिवक्ता कैलाश चंद्र यादव ने कहा कि बिहार की पहचान प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र प्रसाद से है। महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा से है। आजादी के समय बिहार सबसे बेहतर प्रशासित राज्य था। सत्ता के लोभ में जातिवादी नेताओं ने बिहार का बंटवारा किया, सभी कल कारखाने झारखंड में चले गये और अब विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हैं। विगत 35 वर्षों में इन नेताओं के लिए बिहार से छात्रों, मजदूरों, किसानों के पलायन के सवाल कभी मुद्दा नहीं रहा। अब परिवार वाद को बढ़ाने के जातिवाद का जहर समाज में घोला गया है। वकील कानून का रक्षक और न्यायालय का अधिकारी होता है लेकिन दिनदहाड़े वकीलों की हत्या हो रही है। छपरा में वकील पिता पुत्र की हत्या से कानून का शासन होने का दावा तार तार हो गया है। चिकित्सक एच प्रसाद ने बिहार में रोज़गार के अवसर बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। रविदास समाज के जिलाध्यक्ष किशोर दास ने कहा कि सामाजिक राजनीतिक भेदभाव दूर करके ही सभ्य समाज की स्थापना हो सकती है। नेताओं को अपनी कथनी और करनी में अंतर समाप्त करना होगा। वरीय पत्रकार चन्द्रशेखरम ने काफी विस्तार से बिहार के राजनीतिक परिदृश्य, संतुलित पर्यावरण, पलायन रोकने के उपायों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि सात नदियों वाले इस जिले में मत्स्य पालन के इतने अवसर हैं लेकिन दूसरे राज्यों से यहां मछली आ रही है। यहां के अनाज, दूध दही, घी, मक्का मजबूरी वश बाहर भेज दिया जाता है और खगड़िया के लोग पंजाब का गेहूं खरीदने खाने को विवश हैं। उन्होंने जल जीवन हरियाली मिशन के कार्यक्रम का लाभ नहीं मिलने का मुद्दा उठाया। उन्होंने जल संकट और विलीन होते नदी और तालाब को लेकर चिंता जताई। प्रसिद्ध समाजसेवी नागेन्द्र सिंह त्यागी ने कुकरमुत्ते की तरह पनप गये आर ओ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के कारण भूगर्भ जल को हो रहे नुकसान, प्लास्टिक के इस्तेमाल से हो रहे पारिस्थितिक तंत्र के नुकसान पर तुरंत संघर्ष शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया। संगोष्ठी में वरीय पत्रकार शैलेन्द्र सिंह तरकर, वरीय अधिवक्ता राजीव प्रसाद उर्फ पिंकू बाबू, संजीव कुमार सिंह, अनिरुद्ध जालान, सुभाष जोशी, अनन्त कुमार सिन्हा, श्रीकांत पोद्दार सहित अनेक बुद्धिजीवी शामिल थे। प्रशांत किशोर की जन सुराज संवाद टीम के सदस्य पुरूषोत्तम बिहारी शर्मा ने जन सुराज विचार मंच को किसी राजनीतिक प्लेटफार्म से अलग वैचारिक और बौद्धिक मंच बताया और अनुरोध किया सही सोच, सही लोग और सामुहिक प्रयास से ही बिहार में व्यवस्था परिवर्तन संभव है।