“बिखरा हुआ घर संवर जाए” , यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी मरहूम राम विलास पासवान के प्रति – डॉ अरविन्द वर्मा, चेयरमैन

“बिखरा हुआ घर संवर जाए” , यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी मरहूम राम विलास पासवान के प्रति – डॉ अरविन्द वर्मा, चेयरमैन

देश को पांच सांसद देने वाला घर बिखरने से रो रही है राम विलास पासवान की आत्मा

बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा ने पशुपति पारस और चिराग़ पासवान से की एकजुट होने की अपील

ANA/Indu Prabha

खगड़िया। देश को पांच सांसद देने वाला घर शहरबन्नी में जन्मे रामविलास पासवान थे। पांच सांसदों में रामविलास पासवान, पशुपति पारस, रामचन्द्र पासवान, प्रिंस पासवान तथा चिराग पासवान। और आज उनके पुत्र चिराग़ पासवान ने अपनी पार्टी लोजपा (रामविलास) के पांच सांसद क्रमशः चिराग पासवान, अरुण भारती, वीणा देवी, शांभवी चौधरी तथा राजेश वर्मा हैं को देश में देकर एक कीर्तिमान स्थापित किया। इससे स्पष्ट है कि चिराग पासवान को अपने पिता स्वo रामविलास पासवान का दिल से आशीर्वाद मिल रहा है। वैसे, चिराग़ के व्यवहार से इन्हें अपनी माता रीना पासवान के साथ साथ रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी का भी भरपूर प्यार मिल रहा है। रामविलास जी ने जीते जिंदगी घर को बिखरने नहीं दिया। मगर उनके इंतकाल होते ही आंतरिक कलह से देश को पांच सांसद देने वाला घर बिखर गया। इसका दुःख मरहूम राम विलास पासवान की आत्मा को जरुर होता होगा। उक्त बातें, दिवंगत राम विलास पासवान की जंयती के अवसर पर एक विशेष भेंट में बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा ने मीडिया से कही। आगे डॉ वर्मा ने कहा रामविलास जी अपने माता पिता के साथ साथ अपने भाइयों को भी खूब मानते थे। भाइयों के बीच आपसी प्रेम अंततः बना रहा। अपने संस्मरण को साझा करते हुए डॉ वर्मा ने कहा उन दिनों राम विलास पासवान केंद्र सरकार में केबिनेट मंत्री थे। मेरे बगल के मुहल्ला विद्याधार, खगड़िया स्थित मकान में आए थे, जिसमें उनके माता पिता जी रहते थे। रामविलास जी घर से दिल्ली के लिए प्रस्थान कर रहे थे। उसवक्त मैं भी वहां मौजूद था। जाने वक्त जैसे ही राम विलास पासवान ने अपने पिता से कहा अब जय छीये। सुनते ही उनके पिता महंथ जामुन दास ने कहा इधर आवो। वो निकट आए। उनके पिता जामुन दास ने सबों के सामने राम विलास पासवान के गाल को चूमने लगे। पिता पुत्र का प्रेम देख मेरी आंखों में खुशी की आंसू छलकने लगा। मेरे मुंह से अनायास निकल पड़ा काश, ऐसा ही पिता पुत्र का प्रेम कलियुग में सर्वत्र देखने को मिलता। जब जब राम विलास पासवान की याद आती है तब तब आज भी वो दृश्य मेरी आंखों के सामने नाचने लगता है। मेरे मुहल्ले के बगलगीर मोहल्ला वासी होने और पारिवारिक लगाव होने के कारण मैं काफ़ी नजदीकी था। पशुपति पारस और रामचद्र पासवान से भी मेरी आत्मीयता थी। आगे डॉ वर्मा ने कहा रामविलास पासवान की जंयती पर मैं उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं तथा ईश्वर से यही कामना करता हूं कि एकबार पुनः बिखरा हुआ घर संवर जाए और राम विलास पासवान के समय की तरह पुनः सभी परिवार आपस में मिलकर एक जुटता का परिचय दें तभी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। डॉ अरविन्द वर्मा ने कहा मैं पशुपति पारस और चिराग़ पासवान एवं परिवार के अन्य सदस्यों से यही अपेक्षा करता हूं कि आपस में एक हो जाएं क्योंकि बिखरे परिवार को देख मुझे काफ़ी दर्द होता है।