डॉ राजेन्द्र चौक पर मनाई गई राजेन्द्र जयंती, प्रतिमा पर हुआ माल्यार्पण

डॉ राजेन्द्र चौक पर मनाई गई राजेन्द्र जयंती, प्रतिमा पर हुआ माल्यार्पण

ANA/Arvind Verma

खगड़िया । नगर के समाजसेवी, नेताओं द्वारा स्थानीय राजेंद्र चौक पर स्थित देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की प्रतिमा के समक्ष उनकी 136वीं जयंती मनाई गई। समाजसेवी कार्यकर्ताओं ने सर्वप्रथम प्रतिमा की साफ-सफाई कर माल्यार्पण किया तथा दीप जलाकर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए राजेंद्र प्रसाद अमर रहे के नारे लगाए। जहाँ विश्व हिन्दू परिषद के जिला अध्यक्ष नीतीन कुमार चुन्नु ने कहा कि, राजेंद्र प्रसाद देश के एकमात्र राष्ट्रपति हैं जिनका कार्यकाल एक बार से ज्यादा का रहा। वह राष्ट्रपति के पद पर 1950-62 के बीच आसीन रहे। साल 1962 में राजेंद्र प्रसाद को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। राजेंद्र प्रसाद महात्मा गांधी के बेहद करीबी सहयोगी थे। आजादी के बाद वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने। उन्होंने संविधान सभा का भी नेतृत्व किया था। अभाविप के जिला संयोजक कुमार शानु ने राजेन्द्र बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। कुमार शानु ने मौजूद साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि, राजेंद्र बाबू सच्चे, धुन के पक्के, ईमानदार व मेधावी व्यक्ति थे। गांधीजी के साथ चंपारण आंदोलन से जुड़े थे। देश के प्रथम राष्ट्रपति बनकर उन्होंने हमारे विश्व स्तर पर भारत देश को मजबूत स्तंभ के रूप में पहचान दी। साथ ही वार्ड पार्षद प्रतिनिधि मुन्ना पासवान तथा हंसराज कुमार ने कहा कि, राजेंद्र प्रसाद देश के सर्वोच्च पद पर रहने के दौरान भी काफी सादगी से रहा करते थे। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में अपने उपयोग के लिए केवल दो-तीन कमरे ही रखे थे। उनमें से एक कमरे में चटाई बिछी रहती थी जहां बैठकर वे चरखा काता करते थे। बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। पटना के एक आश्रम में 28 फरवरी, 1963 को बीमारी के कारण उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। हम सभी उन्हे नमन करते हैं। वहीं बजरंग दल के कन्हैया कुमार ने कहा कि, खगड़िया के हृदयस्थली कही जाने वाली राजेंद्र चौक पर स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा आज भी धूल खाती मिलती है। खगड़िया के वर्चस्व के समय से ही यहां के स्वघोषित नेता केवल इनके नाम का उपयोग कर चौक पर भाषण देकर खुद को खगड़िया की राजनीति में स्थापित कर चुके हैं परंतु इनकी जयंती मनाने का भी समय उनके पास नहीं है। यह खगड़िया के लिए दुर्भाग्य का विषय है।