डीएम डॉ नवल चौधरी ने दो बच्चों को बंगाल और बिहार के दो दंपत्तियों को दिया गोद

डीएम डॉ नवल चौधरी ने दो बच्चों को बंगाल और बिहार के दो दंपत्तियों को दिया गोद

गोद लेने हेतु CARA पोर्टल पर कराएं निबंधन – डॉ नवल चौधरी, डीएम

ANA/Arvind Verma

भागलपुर। दत्तक ग्रहण दिशा-निर्देश 2022 के अनुसार दत्तक ग्रहण की समस्त प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरांत जिला पदाधिकारी डॉo नवल किशोर चौधरी द्वारा दो बच्चों को दत्तक ग्रहण में अंतिम रूप से देने हेतु आदेश पारित किया गया। पश्चिम बंगाल के नॉर्थ चौबीस परगना के एक दंपत्ति को दो साल की बच्ची तथा कटिहार के दंपत्ति को 3 साल का एक बच्चा को गोद दिया गया। इसके पूर्व जिला पदाधिकारी के समक्ष दत्तक ग्रहण वाद को सुनवाई के लिए रखा गया तथा जिला पदाधिकारी के द्वारा गोद दिये जाने के निर्णय के उपरांत आज बच्चे को उसके दत्तक ग्राही माता-पिता को सौंप दिया गया। उक्त मौके पर दत्तक ग्राही अभिभावक, उनके परिजन, उप निदेशक नेहा नूपुर, बाल संरक्षण पदाधिकारी रंजन कुमार तथा समन्वयक कुमारी अनुश्री उपस्थित थे। दत्तक ग्रहण की यह है प्रक्रिया दत्तक ग्रहण की समस्त प्रक्रिया ऑनलाइन है । कोई दत्तक ग्राही माता-पिता केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण (CARA) के पोर्टल पंजीकरण कर गोद लेने की प्रक्रिया में सम्मिलित हो सकते हैं। इसके लिए एक फोन नंबर, पैन कार्ड तथा ईमेल आईडी की आवश्यकता होती है। इसके उपरांत नजदीकी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान द्वारा दत्तक ग्राही माता-पिता का होम स्टडी रिपोर्ट तैयार किया जाता है। इस पोर्टल पर दत्तक ग्राही माता-पिता अपनी एलिजिबिलिटी चेक कर सकते हैं। इस वेबसाइट के अतिरिक्त किसी व्यक्ति अस्पताल अथवा नर्सिंग होम से बच्चा गोद लेना गैर कानूनी है। इसके लिए 3 साल तक की सजा या 1 लाख का जुर्माना या दोनों हो सकती है। जिला अंतर्गत गोद लेने हेतु विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान अथवा जिला बाल संरक्षण इकाई से संपर्क किया जा सकता है। किसी परित्यज बच्चे के प्राप्त होने के उपरांत बच्चे को 24 घंटें के अंदर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने तथा कारा के वेबसाइट पर 24 घंटे के अंदर पंजीकरण करने का प्रावधान है। इसके उपरांत बच्चे का विज्ञापन प्रकाशित कर कोई दावेदार नहीं होने की स्थिति में बाल कल्याण समिति द्वारा कानूनी रूप से दत्तक ग्रहण हेतु मुक्त करने का प्रावधान है। बच्चे की दंपत्ति के साथ ऑनलाइन मैचिंग, एडोप्शन कमिटी की बैठक तथा जिला पदाधिकारी के समक्ष दत्तक ग्रहण संस्थान की ओर से वाद दायर करने का प्रावधान है। जिलाधिकारी के द्वारा लिए गए निर्णय के उपरांत गोद देने की कार्रवाई पूर्ण होती है। माता-पिता के द्वारा बच्चा प्राप्त करने के उपरांत दो साल तक नजदीकी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान द्वारा फॉलोअप किया जाता है।